BJP दूसरे दलों में ज्योतिरादित्य पैदा करती है अपनी पार्टी में आडवाणी को असहमति जताने का अधिकार नहीं देती
Zaigham Murtaza
बीजेपी दूसरे दलों में ग़ुलाम नबी आज़ाद, कपिल सिब्बल और ज्योतिरादित्य पैदा करती है लेकिन अपनी पार्टी में आडवाणी को भी असहमति जताने का अधिकार नहीं है। सिंधिया एक ज़माने में दस-पंद्रह हज़ार की सभा को संबोधित करना अपमानजनक समझते थे। आज वही महाराज नई पार्टी में चाय की दुकान चार की नुक्कड़ सभा भी करते हैं और गाड़ी रोककर सड़क चलते आदमी से बात भी करते हैं। किसे उसकी जगह दिखानी है, किसे औक़ात बतानी है, यह भी एकदम साफ है। पार्टी की मैसेजिंग स्पष्ट और सीधी है। तरीक़े भी ग़ज़ब हैं।
आपको लगता है डा. हर्षवर्धन और केशव प्रसाद मौर्य के साथ जो हुआ है वह अनायास है? डा. हर्षवर्धन हंस कर टाल जाते तो चल सकता था, मगर कार्यक्रम से उठकर जाना बता रहा है कि राजनीति में उनका समय पूरा हुआ। अब वापसी चाहिए तो दण्डवत हो जाइए और रीढ़ बाज़ार में बेच आइए। केशव प्रसाद को बताया गया है कि अधिक महत्वकांक्षी होने की ज़रूरत नहीं है। बाबा ने गाली दिलवाई और बड़ा बनते हुए बीच-बचाव भी कर दिया। चुनाव हरवाया और अब स्थान बता दिया गया है।
उम्मीद है डिप्टी सीएम अपने पर समेट कर रहेंगे। कुल मिलाकर पार्टी का अनुशासन और कार्यतंत्र क़ाबिले तारीफ है।कोई बिरला ही कांग्रेस या दूसरे दल में जाने का साहस जुटा पाता है। पार्टी जानती है किसे खट्टर बनाना है, किसे बिप्लव, किसे आडवाणी और किसे धामी। इस पार्टी में लोग या तो बिगाड़ कर हिमालय जाते हैं या हरेन पांड्या की तरह बैकुंठ धाम।