मोदी सरकार की वित्तीय समवेशीकरण की नीति ‘सबका साथ, सबका विकास’ कर पाने में नाकाम रही है
सौमित्र रॉय
प्रधानमंत्री ने 2018 में आयुष्मान भारत शुरू किया था, जिसमें देश के 10.74 करोड़ लोग जुड़े हैं। कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में जब इस योजना की सबसे कठिन परीक्षा होनी थी, तब अस्पताल में दाखिल केवल 12% मरीजों को ही आयुष्मान भारत के तहत 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध हुआ। यह हाल भारत जैसे उस देश का है, जहां हर साल 6.3 करोड़ लोग सिर्फ इसलिए गरीबी की रेखा के नीचे चले जाते हैं, क्योंकि महंगा इलाज करवाते उनका सब-कुछ बिक चुका होता है।
2016 में शुरू हुई उज्ज्वला योजना के तहत 2019 तक 9 करोड़ गरीब परिवार की महिलाओं के नाम गैस कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है। लेकिन असलियत यह है कि एलपीजी के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी के चलते लगभग 2 करोड़ परिवारों ने गैस सिलेंडरों की या तो रीफिलिंग ही नहीं करवाई या फिर साल में केवल एक बार ही सिलेंडर खरीदा है।
लाल किले से 15 अगस्त 2014 को शुरू की गई जन-धन योजना के तहत देश में 44 करोड़ से ज्यादा खाते खोले गए हैं। जन-धन योजना के तहत खोले गए कुल खातों में से 86% खाते ही चालू हैं।
प्रधानमंत्री ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन बदले में उन्होंने किसानों को 2000 रुपए की तीन किस्तों में सालाना 6000 रुपए देना शुरू किया, जिसे उन्होंने सम्मान निधि बताया है। NCRB के आंकड़े बताते हैं कि 2019 के मुकाबले 2020 में किसानों की आत्महत्याओं के मामलों में 18% की बढ़ोतरी हुई है।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा (PMJJBY) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) की शुरुआत 2015 में हुई थी। इसके साथ ही बुजुर्गों के लिए अटल पेंशन योजना भी शुरू की गई।
जीवन ज्योति और सुरक्षा बीमा योजना के साथ शर्त यही है कि बीमे के नवीनीकरण के लिए बैंक खाते में 342 रुपए का बैलेंस होना ही चाहिए, अन्यथा बीमे का कवर नहीं मिलेगा। जन-धन योजना के तहत खोले गए कुल खातों में से 36.86 करोड़ यानी 86% खाते ही चालू हैं। दिसंबर 2021 तक देश में ऐसे 3.65 करोड़ ऐसे बैंक खाते थे, जिनमें एक रुपया भी जमा नहीं था। दोनों आंकड़ों को अगर जोड़ लें तो 12 करोड़ से ज्यादा खाते या तो बंद हैं या उनमें बैलेंस नहीं होने के कारण खाता धारकों को बीमा लाभ नहीं मिल पा रहा है। साफ है कि मोदी सरकार की वित्तीय समवेशीकरण की नीति ‘सबका साथ, सबका विकास’ कर पाने में नाकाम रही है।