आजम खान को मिली जमानत, लेकिन अब भी जेल में ही रहेंगे, जानें इसकी वजह
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान को शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने 1 लाख रुपये के मुचलके व दो प्रतिभूति पर जमानत दे दी है. कोर्ट ने आजम खान से शत्रु संपत्ति को पैरा मिलिट्री फोर्स को सौंपने का आदेश दिया है. उल्लेखनीय है कि आजम खान को 88 आपराधिक मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है.
हालांकि राज्य सरकार ने एक दर्जन मामलों में जमानत निरस्त करने की अर्जी दाखिल की है. जो हाईकोर्ट में विचाराधीन है. जमानत पर रिहा हों, इससे पहले आजम खान के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज की गई है. माना जा रहा था कि यदि इस केस में जमानत मंजूर हुई तो वह जेल से बाहर निकल आएंगे, लेकिन अब नया केस दर्ज होने से दर्ज आखिरी मामले में अब जमानत मिलने के बावजूद रिहाई नहीं हो सकेगी.
मामले के अनुसार, अजीमनगर थाने में शत्रु संपत्ति पर अवैध कब्जा कर बाउंड्री वॉल से घेर लेने का आरोप है. जिसे मौलाना जौहर अली ट्रस्ट रामपुर द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय में शामिल किया गया है. पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है और कोर्ट ने संज्ञान भी ले लिया है. मामले की 4 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया था. 29 अप्रैल को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में पूरक जवाबी हलफनामा दाखिल कर कुछ और नए तथ्य पेश किए. इसके बाद सुनवाई 5 मई को हुई. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था. उधर सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर फैसला सुनाने में देरी को लेकर तल्ख टिप्पणी की है. जिस पर मंगलवार को फैसला सुनाया गया.
गौरतलब है कि आजम खान के खिलाफ वर्ष 2019 में सांसद बनने से लेकर अब तक कुल 89 मामले दर्ज हैं. इनमें से शत्रु संपत्ति केस को छोड़कर शेष सभी में उन्हें जमानत मिल चुकी है. सिर्फ एक मामला शत्रु संपत्ति का रह गया है.
इससे पहले आजम खान के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित करने के बाद लंबे अर्से से फैसला नहीं सुनाया है. इस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई की तारीख तय की थी. आजम खान के अधिवक्ता इमरानुल्लाह खान का कहना था कि विश्वविद्यालय 350 एकड़ जमीन में बना है. अधिकांश जमीन का बैनामा कराया गया है. कुछ सरकार ने पट्टे पर दिया है. 13 हेक्टेयर शत्रु संपत्ति का बताते हुए विवाद खड़ा किया गया है.
उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी ने 18 जुलाई 2008 को विश्वविद्यालय को लीज पर विवादित जमीन दी थी. 1700 रुपये प्रति एकड़ की दर से लीज दी गई थी. 20 अक्टूबर 2014 में कस्टोडियन ने लीज रद्द कर दी और वहीं जमीन बीएसएफ को दी गई है. विश्वविद्यालय की तरफ से लगातार लीज की मांग में अर्जी दी जा रही है.
राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी व एजीए पतंजलि मिश्र का कहना था कि आजम खान ने जबरन अपने चेंबर में बुलाकर वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है. मसूद खा ने इबारत लिखी है. शत्रु संपत्ति हड़पने के लिए वक्फ एक्ट के सारे उपबंधों को ताक पर रख दिया गया. 1369 फसली की खतौनी से साफ है कि जमीन वक्फ बोर्ड की नहीं है. वक्फ बोर्ड के अधिकारियों को डरा धमकाकर इंदिरा भवन कार्यालय में दो रजिस्टर मंगा कर वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है. आजम खान ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष हैं. अपने लाभ के लिए उन्होंने सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है और मुख्य आरोपी वही हैं.