साम्प्रदायिकता जितनी मजबूत होगी, जवाहरलाल नेहरू इतिहास में उतने ही महत्वपूर्ण होते जाएंगे
कृष्णकांत
साम्प्रदायिकता जितनी मजबूत होगी, जवाहरलाल नेहरू इतिहास में उतने ही महत्वपूर्ण होते जाएंगे, क्योंकि इतिहास के पन्नों में भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बनाने की सबसे प्रभावशाली जिद का नाम नेहरू है।
स्वतंत्रता संग्राम से लेकर अपनी मौत तक नेहरू ने बार बार दोहराया कि ‘धर्मनिरपेक्ष राज्य के अतिरिक्त अन्य कोई राज्य सभ्य नहीं हो सकता।’ आज़ादी के बाद उन्होंने कहा, "यदि इसे खुलकर खेलने दिया गया, तो सांप्रदायिकता भारत को तोड़ डालेगी."
उन्होंने कहा था, "यदि कोई भी व्यक्ति धर्म के नाम पर किसी अन्य व्यक्ति पर प्रहार करने के लिए हाथ उठाने की कोशिश भी करेगा, तो मैं उससे अपनी जिंदगी की आखिरी सांस तक सरकार के प्रमुख और उससे बाहर दोनों ही हैसियतों से लडूंगा।"
जब कांग्रेस के अंदर कुछ हिंदूवादी तत्व सिर उठाने लगे तो यह कहने साहस नेहरू में था कि "यदि आप बिना शर्त मेरे पीछे चलने को तैयार हैं तो चलिए, वरना साफ कह दीजिए। मैं प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा लेकिन कांग्रेस के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा। मैं अपनी निजी हैसियत से इसके लिए लड़ूंगा।"
यह समझना आज ज्यादा आसान है कि गांधी ने देश की बागडोर नेहरू को ही क्यों सौंपी? जिन्हें नेहरू आज के नेताओं से छोटे लगते हों उनसे तो कोई उम्मीद नहीं। जिन्हें आज़ादी आंदोलन की विरासत और दंगा मार्का पाखंडपूर्ण धर्मनिरपेक्षता एक ही बात लगती हो, उनसे कुछ नहीं कहना। लेकिन जो लोग गांधी, नेहरू, भगत सिंह, सुभाष, आज़ाद, बिस्मिल, अशफाक और लाखों कुर्बानियों के कर्जदार हैं और उस बलिदान का अर्थ समझते हैं, उन्हें यह ज़रूर समझना चाहिए कि अपनी विरासत से कृतघ्नता और गद्दारी बहुत महंगी पड़ेगी।
भारतीय संविधान का आदर्श चरित्र दुनिया की सबसे खतरनाक कीमत चुका कर हासिल किया गया है। इसका अपमान आपको कहीं का नहीं छोड़ेगा। नेहरू आज़ाद भारत का सबसे अहम किरदार इसीलिए बन गया क्योंकि भारतीय आंदोलन की विरासत को आगे बढ़ाने में यह एक नाम सबसे अहम रहा।
हमारे युवाओं को आज इतिहास के प्रति ईमानदार होने की जरूरत है। उन्हें यह समझना चाहिए कि इतिहास फर्जी फ़ोटो और वीडियो वायरल करने के लिए नहीं होता, इतिहास का सबसे बड़ा काम है भविष्य के लिए सबक सीखना। आप सबको नेहरू और पटेल की उस वचनबद्धता का साथ देना चाहिए कि 'धर्मनिरपेक्ष राज्य के अतिरिक्त अन्य कोई राज्य सभ्य नहीं हो सकता।’
हमारी आज़ादी और लोकतंत्र की विरासत बहुत कीमती है, आज जिसपर संगठित हमले हो रहे हैं। यह लोकतंत्र आपका है। इसे बचाना आपकी जिम्मेदारी, आपका फर्ज है।
जय हिंद!