BJP की हिम्मत नहीं है कि वे प्रधानमंत्री पर उंगली उठाकर उन्हें भी संयम बरतने को कह सके
सौमित्र रॉय
बीजेपी ने भले पार्टी के 38 नेताओं की ‘हेट स्पीच लिस्ट’ बनाई है और उनमें से 27 नेताओं को संयम बरतने की घुड़की दी हो। लेकिन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हेट स्पीच के मामले में कितने सतर्क हैं और उन्होंने किन मौकों पर नफरती और बेबुनियाद बयान दिए हैं, यह जानने के लिए आज मैंने अपना ड्रोन उड़ा दिया।
बीजेपी की हिम्मत नहीं है कि वे प्रधानमंत्री पर उंगली उठाकर उन्हें भी संयम बरतने को कह सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सीएम रहते हुए कई बार हेट स्पीच वाले बयान दिए। 2002 के गुजरात दंगों के बाद उन्होंने मुस्लिम विस्थापितों के कैंप को ‘बच्चे पैदा करने का केंद्र’ कहा था। उसी बयान में ‘हम पांच, हमारे पच्चीस’ भी एक हिस्सा था।
मोदी का वह बयान भी चर्चित है , जिसमें यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें 2002 में गुजरात हिंसा पर दुख है, मोदी ने जवाब दिया था- यहां तक कि एक कुत्ता भी गाड़ी के नीचे आ जाए तो दुख होता है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी ने कहा था कि ‘अगर एक खास समुदाय के लिए आरक्षण के कोटे को कम किया जाता है तो मैं अपनी जान दे दूंगा’।
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के टिकट पर राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने पर उन्होंने कहा था- ‘वे वहां से चुनाव इसलिए लड़ रहे हैं, क्योंकि हिंदू अल्पसंख्यक हैं।’ प्रधानमंत्री का दावा बेबुनियाद था, क्योंकि वायनाड सीट पर 50% हिंदू मतदाता हैं।
अब दुनिया के दो अरब मुसलमानों के गुस्से के आगे नतमस्तक 56 इंची पीएम और उनकी पार्टी देश में 20 करोड़ मुसलमानों के सम्मान, गरिमा और उनके मजहब को कितना सम्मान देगी, यह देखने वाली बात है।