गांधी और नेहरू एक बार फिर लाज बचाने के काम आ रहे हैं
कृष्णकांत
गांधी और नेहरू एक बार फिर लाज बचाने के काम आ रहे हैं। आईटी सेल का गठन करके गांधी-नेहरू का चरित्रहनन अभियान चलाने वाली पार्टी की सरकार दुनिया भर के नाराज देशों को बता रही है कि 'विविधता में एकता' हमारी सांस्कृतिक परंपरा है। यह अच्छी बात है। देश में कोई तो होना चाहिए जिसकी वैश्विक प्रतिष्ठा हो, जिसकी गई बातों को हम दोहराएं तो दुनिया में हमारी लाज बच जाए।
पिछले आठ साल में ऐसा कितनी बार हुआ है जब प्रधानमंत्री जी विदेश गए हैं और वहां पर गांधी, नेहरू, सेकुलर भारत और लोकतंत्र का जिक्र आया है। हम दुनिया में जहां भी जाते हैं, वहां हमें बताना पड़ता है कि हम महात्मा बुद्ध और महात्मा गांधी के देश से हैं।
महात्मा गांधी जिन देशों में कभी नहीं गए, वहां भी उनकी मूर्तियां लगी हैं। वे अमेरिका कभी नहीं गए लेकिन भारत के बाद उनकी सबसे ज्यादा मूर्तियां, स्मारक और संस्थायें अमेरिका में ही हैं।
महात्मा गांधी भारत के अकेले ऐसे नेता रहे हैं, जिनकी भारत सहित 84 देशों में मूर्तियां लगी हैं। पाकिस्तान, चीन से लेकर छोटे-मोटे और बड़े-बड़े देशों तक में बापू की मूर्तियां स्थापित हैं। उनके जन्मदिवस पर पूरी दुनिया अहिंसा दिवस मनाती है। कई देशों में उनके नाम पर डाक टिकट जारी हैं।
नेहरू ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने कभी लगभग सौ देशों को साथ लेकर दो महाशक्तियों के द्वंद्व के बीच 'गुटनिरपेक्ष आंदोलन' चलाया था। 1947 में आजाद होने के बाद धीरे धीरे दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी, जबकि भारत एक गरीब देश था। जानते हैं क्यों? क्योंकि भारत सारे लोकतांत्रिक देशों में सबसे बड़ी मॉरल फोर्स था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत सबसे पहले आजाद हुआ और इसकी प्रेरणा से कई देशों में स्वतंत्रता आंदोलन चले।
मौजूदा भाजपा सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था को तोड़ दिया और अब भारत की मॉरल पॉवर को कमजोर कर रही है, जिसके दम पर भारत की दुनिया भर में धाक थी। दुनिया भर में शान से हम कहते थे कि लगभग सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी और सभी धर्मों के लोगों के साथ हमें साथ रहना और विकास करना आता है।
गांधी, नेहरू, सुभाष, पटेल, अंबेडकर और हमारे नायक सिर्फ व्यक्ति नहीं हैं। वे सब मिलकर भारत को एक विचार के रूप में आकार देते हैं। उनपर हमला करने वाले लोग भारत के मूल विचार पर हमला करते हैं। इसे हम जितनी जल्दी समझ लें, उतनी जल्दी हम भलाई के रास्ते पर चलने लगेंगे।