आप इंसान हैं, नफरत का गोदाम नहीं?
कृष्णकांत
गोदी मीडिया वह सब आपसे छुपाता है जो आपको जानना चाहिए। वह सब आपको बताता है जो आपको नहीं जानना चाहिए। हाल में तीन कश्मीरी पंडितों की हत्या हुई। पांच महीने में 13 पंडित मारे जा चुके हैं। कश्मीरी पंडित 20 दिन तक प्रदर्शन करते रहे कि सुरक्षा दी जाए या हमें सुरक्षित जगह शिफ्ट किया जाए।
आखिरकार 3-4 जून को कश्मीरी पंडित घाटी से भागने लगे। सरकार गायब रही। गृहमंत्री सनीमा देखते हुए पाए गए। पूरी भाजपा एक घटिया फ़िल्म के प्रमोशन में लगी थी। कश्मीर पर "संवेदनशील" फ़िल्म बनाने वाले सनीमाई ब्यापारी पैसा कमाकर चंपत हो चुके हैं। खबरों के मुताबिक कश्मीर घाटी में रह रहे 80 प्रतिशत पंडितों ने घाटी छोड़ दी।
4 जून को मुंबई में मिनारा मस्जिद के पास हजारों की संख्या में मुसलमान इकट्ठा हुए और कश्मीरी पंडितों पर हो रहे आतंकी हमलों और पलायन के विरोध में प्रदर्शन किया। इस पलायन के खिलाफ सबसे पहले कोई उतरा तो वे मुंबई के मुसलमान थे।
कश्मीर फाइल्स फ़िल्म इसलिए बनाई गई थी ताकि हिंदुओं को यह बताया जाए कि मुसलमान बड़े जालिम हैं। जब भी कश्मीर पर बहस होती है तो आरएसएस की तरफ से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के लिए पाकिस्तान को नहीं, भारत के मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
इस समय इस देश में सारी बहसें, सारी नीतियां, सारे उपक्रम हम-आपको बांटने के लिए हैं। व्हाट्सएप विष-विद्यालय में बताया जाएगा कि मुसलमानों से घृणा करो। आपको अपनी आंख खोलनी है, फिर दुनिया देखनी है। आप इंसान हैं, नफरत का गोदाम नहीं।