यह ऐसी डरपोक सरकार है जो अपने काम से नहीं, मुंह से बोलती रहती है कि हम बहुत मजबूत हैं
कृष्णकांत
मनमोहन सिंह कम बोलते थे क्योंकि वक़्त पर बोलते थे। डंकापति बहुत बोलते हैं लेकिन वक़्त पर मौन रहते हैं। असली नेता कौन है? जिसका काम बोले, जो फालतू न बोले। भले कम बोले लेकिन वक्त पर बोले और देश का सिर न झुकने दे। भारत का रिकॉर्ड अब तक इस मामले में अच्छा था।
जब अमेरिका ने धमकाया कि हमारे इशारे पर नहीं चलोगे तो खाने को गेहूं नहीं देंगे तो प्रधानमंत्री शास्त्री जी परेशान हो गए। देश नया-नया आजाद हुआ था। बड़ी-बड़ी दुश्वारियां थीं। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि आज शाम को खाना मत बनाओ। मैं देखना चाहता हूं कि क्या मेरे बच्चे एक वक्त बिना रोटी के रह सकते हैं? प्रयोग सफल रहा। अगले दिन उन्होंने देश से अपील की कि देश में अनाज की कमी है। आप लोग अनाज की बचत करें। एक वक्त कम खाएं, कभी-कभी उपवास करें, लेकिन भारत किसी के सामने अनुचित शर्तों पर नहीं झुकेगा। देश का सिर गर्व से ऊंचा हो गया।
1971 में भारत ने पाकिस्तान में सैनिक हस्तक्षेप किया तो अमेरिका ने धमकी देते हुए अपना सातवां बेड़ा भारत की ओर रवाना किया। इंदिरा गांधी ने कहा, सातवां बेड़ा हो चाहे सत्तरवां, हिंदुस्तान किसी से नहीं डरता...। भारत ने पाकिस्तान तोड़कर बांग्लादेश बना दिया। अमेरिका पाकिस्तान सब अवाक रह गए। अंकल सैम का सातवां बेड़ा हिंदुस्तान की सीमा तक कभी नहीं पहुंचा। 1974 में भारत ने परमाणु परीक्षण किया तब हम पर व्यापक प्रतिबंध लगाए गए। लेकिन इंदिरा जी ने झुकने से इनकार कर दिया।
मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने तब तक परमाणु शक्ति के मामले में भारत अलग-थलग था। मनमोहन सिंह ने अमेरिका के साथ परमाणु करार करने की ठानी। वाम दलों ने कहा, सरकार गिरा देंगे। पार्टी दबाव में आ गई। मनमोहन सिंह अकेले पड़ गए। लेकिन वे अड़ गए। अपनी पार्टी के खिलाफ जाकर बोले कि अगर पार्टी किसी दबाव में झुकती है तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। नतीजा ये हुआ कि करार हो गया और भारत को परमाणु उर्जा के क्षेत्र में वह सबकुछ हासिल हुआ जिसकी उसे जरूरत थी।
मनमोहन सिंह कम बोलते थे लेकिन जब भी संकट आया तो सरकार फैसले लेती थी। चाहे गृहमंत्री को हटाना हो, चाहे कानून बनाना हो, चाहे भ्रष्टचार के आरोपों पर कार्रवाई करनी हो। ये नहीं कि मगरूर बनकर बैठ गए। उन्होंने पूरी दुनिया में भारत को सबसे तेज उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप स्थापित किया और कभी ऐसी हरकत नहीं की कि देश को शर्म से सिर झुकाना पड़े।
एक आज वाले अपने डंकापति हैं। खुद के ही मुंह से बताते रहते हैं कि मेरा सीना इतने इंच का है, छाती उतने मीटर की है, यहां डंका, वहां लंका, लेकिन जब-जब मुसीबत आती है तो गायब हो जाते हैं। अमेरिका ने ईरान से तेल लेने के मसले पर धमका दिया तो राजा बेटा की तरह उसकी बात मान गए। चीन लगातार अतिक्रमण कर रहा है, गांव बसा लिया तो देश की जनता से झूठ बोले रहे हैं कि न कोई आया है न कोई घुसा है।
आज लगभग 17 देश मिलकर भारत की फजीहत कर रहे हैं और डंकापति मौन हैं। भारत की नाक कटाने वाले नफरती प्रवक्ताओं पर न ढंग से कानूनी कार्रवाई की, न कोई बयान दिया, न सरकार की तरफ से कोई कायदे का कदम उठाया गया, न इस नुकसान की भरपाई का कोई आसार दिख रहा है।
यह ऐसी डरपोक सरकार है जो अपने काम से नहीं, मुंह से बोलती रहती है कि हम बहुत मजबूत हैं। असलियत तो ये है कि ये इतिहास की सबसे कमजोर सरकार है जिसके सारे बड़े फैसले विध्वंसक साबित हुए हैं और हर मोर्चे पर भारत लगातार नुकसान उठा रहा है। यहां तक कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की बनी बनाई प्रतिष्ठा भी दांव पर है।