तो भारत में 385 रुपये प्रति लीटर हो जाएगा पेट्रोल, जानिये क्या है अनुमान?
देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्या 300 रुपये प्रति लीटर के पार जा सकती है, सोचिये अगर पेट्रोल-डीजल इतना महंगा हो गया, तो हमारी जेब पर कितना बोझ बढ जाएगा, फिलहाल देश में पेट्रोल की कीमतें 100 से 110 रुपये के आसपास है, डीजल 100 रुपये प्रति लीटर के आसपास बिक रहा है,
देश में पेट्रोल की कीमतें क्रूड ऑयल के रेट के मुताबिक तय होती है, क्रूड ऑयल को लेकर एक रिपोर्ट आई है, जिसमें कहा गया है, कि कच्चे तेल कीमत 380 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच सकती है। इस रिपोर्ट को पढकर पूरी दुनिया में हलचल है, तो क्या वाकई भारत में भी पेट्रोल-डीजल प्रति लीटर 300 रुपये या उससे अधिक के रेट में बिकेगा, फिलहाल कच्चा तेल 111 डॉलर प्रति बैरल के आसपास ग्लोबल मार्केट में बिक रहा है।
जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी के विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका तथा यूरोपीय देश रुस पर और शिकंजा कसते हैं, तो वो क्रूड ऑयल का उत्पादन 5 मिलियन बैरल तक कम कर सकता है, इस वजह से पूरी दुनिया में क्रूड ऑयल 380 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास पहुंच जाएगा, यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रुस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाये हैं।
विशेषज्ञ का कहना है कि अगर रुस कच्चे तेल के उत्पादन में प्रति दिन 3 मिलियन बैरल की कटौती करता है, तो लंदन बेंचमार्क पर क्रूड ऑयल की कीमतें 190 डॉलर तक पहुंच जाएंगी, वहीं रुस इसे बढाकर 5 मिलियन कर देगा, तो क्रूड ऑयल का रेट 380 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएगा, अब सवाल ये है कि इस बढोतरी का भारत में कितना असर पड़ेगा।
भारत सबसे ज्यादा क्रूड ऑयल आयात करने वाले देशों में से एक है, अगर भारत ने क्रूड ऑयल की बढी हुई कीमतों पर असर पड़ा, तो पेट्रोल 385 रुपये प्रति लीटर के दर से बिकेगा, अगर हम 110 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल और 111 डॉलर प्रति बैरल क्रूड ऑयल के हिसाब से बढी हुई कीमतों की तुलना करें, तो पेट्रोल करीब साढे 3 गुना महंगा हो जाएगा। जब दुनिया में क्रूड ऑयल की कीमतें 380 डॉलर प्रति बैरल पहुंच जाएंगी, तो भारत में पेट्रोल 385 रुपये प्रति लीटर के दर से बिकेगा, हालांकि कई विशेषज्ञों ने जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट को निराधार बताया है, उनका कहना है कि फिलहाल तो ऐसी कोई स्थिति नजर नहीं आ रही है।
अप्रैल के बाद से भारत ने रुस से 50 गुना ज्यादा कच्चा तेल खरीदा है, भारत के टोटल क्रूड ऑयल इंपोर्ट में रुस की हिस्सेदारी बढकर 10 फीसदी पर पहुंच गई है, यूक्रेन के साथ लड़ाई शुरु होने से पहले रुस से भारत सिर्फ 0.2 फीसदी तेल खरीद रहा था, अप्रैल महीने में ये बढकर 10 फीसदी पर पहुंच गया।