पुलिस कस्टडी में निर्दोष युवक की पिटाई से बिगड़ी हालत, उपचार के लिए कराया अस्पताल में भर्ती
गणेश मौर्य
अंबेडकर नगर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही मंच से पुलिस वालों को उनकी कार्यशैली को लेकर नसीहत देते नजर आ रहे हों लेकिन प्रदेश की पुलिस अपने कारनामों से खाकी पर दाग लगाने से बाज नहीं आ रही है. डीजीपी ने साफ शब्दों में कहा दिया की कानून व्यवस्था का पालन करवाने के साथ-साथ मानवी चेहरा भी रखें। उसकी बावजूद भी पुलिस पर मारना पीटना दहशतगर्दी के आरोप लग रहे हैं, अंबेडकर नगर में पुलिस की दहशतगर्दी और पिटाई का शिकार हुए मजदूर ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया है। अपने कारनामों से खाकी बार-बार दागदार हो रही है, और नायक बनने के चक्कर में खाकी समाज में खलनायक की भूमिका निभा रही है। सम्मानपुर थाना क्षेत्र से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें आरोप वर्दी वाले पर लग हैं.
गंगाराम राजभर पुत्र स्वर्गीय रामदुलार चकिया अमरताल ने बताया की एक सप्ताह पूर्व स्थानीय थाने सम्मानपुर की पुलिस और हल्का लेखपाल दिनेश तिवारी के खिलाफ पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर बताया गया था की गांव के बंजर भूमि पर पुलिस और लेखपाल की मिलीभगत से कब्जा हो रहा है। उसी खुन्नस को लेकर 112 नंबर पुलिस थाने पर बुलाती है और सिपाही अपना नेम प्लेट निकल कर आता है फिर लात घुसे और पट्टे से पीटना चालू कर देता। पीड़ित गंगाराम के चिल्लाने की आवाज़ सुनकर दीवान आते हैं और सिपाही को कड़ी फटकार लगाते हैं तब तक सिपाही जी भर कर पीट चुका था। देर शाम पीड़ित गंगाराम की तबियत खराब होता देख परिवार वालों ने जिला अस्पताल में भर्ती करवाया।
पुलिस कप्तान को मामले की सूचना देने के लिए कई बार नंबर मिलाया गया मगर संपर्क नहीं हो पाया। गंगाराम की पत्नी ने कहा की पुलिस अधीक्षक से मिलकर आरोपी सिपाही के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग करेगी। पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल वर्दी की दहशतगर्दी पुलिस की कार्यशैली पर तमाम सवाल खड़े कर रही है। इस घटना को देखने के बाद लोगों का पुलिस के प्रति नजरिया भी किसी खलनायक से कम नहीं दिख रहा है.।
सरकारे बदलती हैं, अधिकारी बदलते हैं, एक थाने से दूसरे थाने में थानेदार बदलते हैं लेकिन नहीं बदलती है तो पुलिस की कार्यशैली फिर चाहे उत्तर प्रदेश के किसी भी थाना का हो।पीड़ित की आंखों से निकलने वाले आंसुओं में दर्द भी एक जैसा ही है. सम्मनपुर पुलिस ने सरकारी जमीन के मामले में पीड़ित से दबाव भी बनाया फिर पुलिस के मर्जी के हिसाब से लिखना पड़ा।
मित्र पुलिस का दम भरने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस की ऐसी चौंकाने वाली खाकी आखिर कब तक दागदार होती रहेगी. कभी पुलिस की बर्बरता से किसी की जान जाती है तो कभी किसी की जान जहमत में पड़ जाती है. पुलिस की दहशतगर्दी से तमाम पीड़ितों की आंखों से निकलने वाले आंसू पुलिस की बर्बरता को बयां करते हैं, अब देखना ये है कि पुलिस अधीक्षक इस पर क्या कार्रवाई करते हैं।