इतिहास कब, किस करवट बैठेगा-कोई नहीं जानता
सौमित्र रॉय
इतिहास कब, किस करवट बैठेगा-कोई नहीं जानता। खासकर तब, जबकि आप अपने काले अतीत से सबक सीखने की जगह उसी को दोहराने की तरफ़ चल पड़ते हैं।
शिंजो आबे की कहानी कुछ ऐसी ही है। जापान के सबसे लंबे समय तक पीएम रहे आबे के इतिहास और कार्यकाल की कड़ियां मिलाएंगे तो इशारों में कई बातें आने वाले भविष्य का संकेत देंगी।
1. आबे के दादा नोबुसुके किशी भी जापान के पीएम थे। उन पर देश को दूसरे विश्वयुद्ध में जापानी अपराधों को स्वीकार करने के बजाय देश को राष्ट्रवाद में झोंकने का आरोप लगाया जाता है।
2. कार्यकाल से 2 साल पहले ही पद छोड़ने से पहले किशी की तमन्ना देश का गौरव फिर ऊंचा करने की रही।
3. आबे ने 9 साल के कार्यकाल में उसी विरासत को आगे बढ़ाया और 2007 में रक्षा मंत्रालय बनाया। 2012 में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और 2013 में राष्ट्रीय रक्षा नीति बनाई। 2014 में आबे ने अमेरिकी-जापान रक्षा नीति को बदलकर तकनीकी हस्तांतरण की आज़ादी हासिल की।
3. जापान का संविधान अमेरिका के अफसरों ने लिखा, जो 3 मई 1947 को लागू हुआ। आबे चाहते थे कि एक युद्ध अपराधी की तरह पराए संविधान में जीने की जगह जापान का अपना संविधान हो। आबे ऐसा करने में नाकाम रहे।
4. कंज़र्वेटिव आबे का लिबरलों ने घोर विरोध किया। कोरिया और चीन आबे से बहुत नाराज हुए, क्योंकि दोनों ने जापानी युद्ध अपराध झेला था।
6. जापान का कानून उसे जंग में कूदने की इजाज़त नहीं देता। अपनी सुरक्षा के लिए उसके पास सेना और 50 हज़ार अमेरिकी फौज है। अवाम भी जंग नहीं चाहती, सो आबे संविधान बदलने में नाकाम रहे।
7. लेकिन जापान की सत्ता अभी भी अति राष्ट्रवादी है। मौजूदा पीएम किशिदा पर आबे का ख़ासा असर है। आबे अपने दादा के समान देश की इकॉनमी को संवारने में भी कामयाब नहीं हुए।
8. उनके कार्यकाल को क्वाड गठजोड़ बनाने के लिए भी याद रखा जाएगा, क्योंकि देश की कमज़ोर इकॉनमी को छिपाने के लिए आबे के पास राष्ट्रवाद के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं था।
9. वे चीन, उत्तर कोरिया और आतंकवाद का डर दिखाकर 2020 तक राज करते रहे। मोदीनोमिक्स की तरह आबे का आबेनोमिक्स भी था। लोन बांटना, वित्त व्यवस्था को आसान बनाना और ढांचागत सुधार उनके प्रिय विषय थे।
10. कोविड के दौरान जापान की इकॉनमी ढह गई। 2020 में आबे न इकॉनमी संभाल सके और न ही कोविड को रोक पाए। ऊपर से भ्रष्टाचार के आरोपों ने उनकी कुर्सी छीन ली। बहाना भले बीमारी का था
11. हालांकि 6 बार चुनाव जीतने वाले आबे ने शिक्षा को लेकर खूब काम किया। आज शिक्षा के मामले में जापान का नाम दुनिया में ऊंचा है।
12. आबे को पश्चिमी जापान के नारा शहर में एक चुनावी सभा के दौरान "अग्निवीर" ने गोली मार दी। हत्यारा साल 2000 के दौरान 3 साल के लिए नौसेना में रहा था। उसका निशाना अचूक था।
भारत ने शिंजो आबे को पद्म विभूषण से नवाज़ा है।