Zuberi The Great: मारहरा का पहला ऐसा नेता जो महान हो गया
अमन पठान
मारहरा (एटा)। आपने इतिहास की किताबों में अकबर द ग्रेट और अशोका द ग्रेट के बारे में पढ़ा होगा लेकिन किसी नेता के महान होने का किस्सा नही सुना होगा। आज हम आपको ऐसे नेता के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके कार्यों को जानकर आप भी उसे महान कहने पर मजबूर हो जाएंगे। तो आइए जानते हैं उस खास शख्सियत के बारे में जिसे हम महान होने की उपाधि दे रहे हैं।
वहीद महमूद ज़ुबैरी उर्फ़ परवेज ज़ुबैरी एटा जनपद के मारहरा कस्बे के मौहल्ला कम्बोह में प्रसिद्ध समाजवादी नेता बशीर महमूद ज़ुबैरी के घर 22 फरवरी 1956 में जन्मे और उन्हें समाजवादी राजनीति विरासत में मिली। श्री ज़ुबैरी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बीएससी एलएलबी करने के बाद वर्ष 1986 में राजनीति में सक्रिय हुए और वर्ष 1988 में मारहरा नगर पालिका पर अपनी जीत का परचम लहराया। वर्ष 1986 में मुलायम सिंह यादव के साथ अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत की थी। अपने निजी स्वार्थ के चलते कोई भी व्यक्ति 24×7 जनता की सेवा कर मसीहा तो बन सकता है लेकिन उसे महान होने की उपाधि नही दी जा सकती है लेकिन हम परवेज ज़ुबैरी को यूंही महान नही कह रहे हैं। श्री ज़ुबैरी के महान होने के पीछे एक नही अनेक कारण हैं जिन्हें शब्दों में लिखा नही जा सकता। एक तहरीर में उनकी महानता को लिखना मुश्किल ही नही नामुमकिन भी है।
चुनावी मौसम में तमाम नेता जनता के बीच आते हैं और चुनाव हारने के बाद ऐसे गायब हो जाते हैं जैसे गधे के सिर से सींग? साल के 365 दिन परवेज ज़ुबैरी ही जनता के सुख दुःख में शामिल रहते हैं और गरीबों की मदद का हर संभव प्रयास करते हैं। मारहरा में शायद ही कोई ऐसा गरीब परिवार बचा हो जिसके लिए वह मददगार साबित न हुए हों। कोरोना काल में श्री ज़ुबैरी ने गरीब परिवारों को राशन वितरण के साथ दो लाख रुपए से अधिक की आर्थिक सहायता की।
श्री ज़ुबैरी के स्वभाव ने उन्हें मारहरा की हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक बना दिया है। पूरे देश में परवेज ज़ुबैरी पहले ऐसे मुस्लिम व्यक्ति हैं जो विजयदशमी के मौके पर रावण के पुतले का दहन करते हैं। श्री ज़ुबैरी को मुसलमानों से ज्यादा हिंदू समुदाय के लोग पसंद करते हैं यही कारण है कि उन्हें हर चुनाव में सफलता मिलती है। श्री ज़ुबैरी बिना किसी भेदभाव के शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी जैसे जनहित के मुद्दों पर ध्यान देते हैं। हाल ही में श्री ज़ुबैरी ने समाज को शिक्षा की रोशनी से रोशन करने के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम से पुस्तकालय का निर्माण कराया है। आपको बता दें कि ईदगाह के लिए 10 लाख रुपए का चंदा इकट्ठा करवाकर ईदगाह के 3 बीघा जमीन भी खरीदी और नगर पालिका द्वारा ईदगाह में इंटरलॉकिंग करवाई तो 45 लाख रुपए की लागत से भव्य रामलीला भवन का निर्माण करवाया।
बताते चलें कि परवेज ज़ुबैरी मुलायम सिंह यादव के साथ लोकदल के बाद समाजवादी जनता दल से लेकर समाजवादी पार्टी से आज भी जुड़े हुए हैं। वर्ष 1993 में मुलायम सिंह यादव निधौली कलां विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़े तो परवेज ज़ुबैरी ने श्री यादव को विजयश्री हासिल करवाने में अहम भूमिका निभाई। वर्ष 1993 में मारहरा के मतदाताओं ने इतिहास रच दिया। इतिहास में ऐसा पहली हुआ कि मुलायम सिंह यादव को जिताने के लिए रानी अवंतीबाई इंटर कालेज के मतदान केंद्र पर मत पेटिकाएं कम पड़ गईं तो बोरों में वोट डाले गए। नया इतिहास रचने और मुलायम सिंह यादव की जीत का श्रेय परवेज ज़ुबैरी को दिया गया। श्री ज़ुबैरी ने मारहरा की पेयजल की व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त रखने की कवायद में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह से दूसरे ओवरहेड वाटर टैंक की मांग की जिसे मुलायम सिंह ने तत्काल स्वीकृत कर दिया। जबकि आबादी के अनुसार मारहरा में एक ओवरहेड वाटर टैंक नियमानुसार होना चाहिए लेकिन मुख्यमंत्री के विशेष आदेश पर दूसरे ओवरहेड वाटर टैंक का निर्माण कराया गया।
आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी की ओर से चलाये गए हर अभियान में उन्होंने बढ़ चढ़कर भाग लिया। वर्ष 1997 में जेल भरो आंदोलन में उन्होंने 12 सितम्बर को 2100 कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ गिरफ्तारी दी। उनका वर्चस्व देखकर पार्टी के वरिष्ठ नेता आश्चर्य चकित रह गए। वहीं उन्होने जेल भरो आंदोलन के तहत लखनऊ में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के साथ भी गिरफ़्तारी दे चुके हैं।
अगर मारहरा में नगर निकाय चुनाव की बात करें तो वर्ष 1988 में परवेज ज़ुबैरी ने मारहरा के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति ओमप्रकाश शाह को पराजित कर विजयश्री हासिल की। इसके बाद अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया तो वर्ष 1995 में उन्होंने सपा के बैनर तले शशिप्रभा को चुनाव मैदान में उतारा और विजयश्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2000 में भूदेव प्रसाद भारतीय को चुनाव लड़वाया और फिर सफलता मिली। वर्ष 2006 में भी उनकी बदौलत जग्गुमल प्रभाकर मारहरा नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए। वर्ष 2013 में जग्गुमल प्रभाकर की पत्नी गंगा देवी को हराने और परवेज ज़ुबैरी की बगावत में कस्बे की कुछ नामचीन हस्तियां मैदान में उतर आईं, लेकिन बगावत की आंधी में भी चिराग-ए-ज़ुबैरी महफूज़ रहा।
मारहरा में अन्य दल सपा प्रत्याशी को हराने के लिए ऐड़ी से चोटी तक का जोर लगाते हैं लेकिन असफलता ही हासिल होती है। 2013 के नगर निकाय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे ही नही और उनके कार्यकर्ताओं ने गुप्त तरीके से बसपा प्रत्याशी का समर्थन किया। उसके बाबजूद जीत समाजवादी पार्टी को ही मिली। 2017 में परवेज ज़ुबैरी स्वयं चुनाव मैदान में उतरे और एटा जिले में सबसे अधिक मतों से विजयी हुए। गौरतलब है पूरे उत्तर प्रदेश में मारहरा एकमात्र ऐसी नगर पालिका है जहाँ 6 बार से लगातार समाजवादी पार्टी की जीत का डंका बज रहा है। जबकि एटा जनपद में अलीगंज को सपा का गढ़ कहा जाता है। उसके बाबजूद अलीगंज नगर पालिका पर कई बार अन्य दल का कब्ज़ा हो चूका है। शायद ही प्रदेश में कोई ऐसी नगर पालिका होगी जहाँ 30 वर्षों से सपा ही काबिज़ हो।
आपको बता दें कि तमाम बगावत और विरोध के बाबजूद परवेज ज़ुबैरी को चुनाव में 35 प्रतिशत से अधिक हिंदू समुदाय का वोट मिलता है। श्री ज़ुबैरी ने अपने कार्यकाल में 11 बारात घर का निर्माण कराया ताकि लोगों को विवाह शादी में आने वाले आर्थिक खर्च और धर्म जाति के बंधन से राहत मिल सके। बाल्मीकि समाज के लिए 2 बारात घर, जाटव समाज के लिए 3 बारात घर और कोरी समाज के लिए एक बारात घर का निर्माण कराया। गौरतलब हो कि तत्कालीन बसपा सरकार में दो अम्बेडकर पार्क का निर्माण करवाने का श्रेय भी परवेज ज़ुबैरी को जाता है क्योंकि नगर पालिका ने मखबूलगंज और मीरा की सराय में अम्बेडकर पार्क का निर्माण करवाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती को प्रस्ताव भेजा था। यूपी के नगरीय क्षेत्र में सिर्फ मारहरा को ही अम्बेडकर पार्क का तोहफा मिला।
कस्बे में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए परवेज ज़ुबैरी ने वर्ष 1993 में निवर्तमान मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से चुनाव जीतने के बाद निधौली में आयोजित धन्यवाद सभा में 30 बेड के अस्पताल की मांग की। मुख्यमंत्री ने श्री ज़ुबैरी की इस मांग को प्राथमिकता से पूरा किया, लेकिन सरकार को अस्पताल निर्माण के लिए कस्बे में ज़मीन नही मिली। उन्होंने कस्बे की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को मद्देनजर रखते हुए मिरहची मारहरा मार्ग (मुख्य मार्ग) पर अस्पताल निर्माण के लिए 6 बीघा ज़मीन दान देने की घोषणा की। 19 जुलाई 1996 में 30 बेड के अस्पताल की बुनियाद रखी गई। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री सलीम इक़बाल शेरवानी ने बीएम ज़ुबैरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का शिलान्यास किया। परवेज ज़ुबैरी ने बताया कि अस्पताल निर्माण के लिए ज़मीन नही मिल रही थी, तो उन्हें चिंता होने लगी कि ज़मीन ना मिल पाने के कारण कहीं अस्पताल का निर्माण भी विकास खंड कार्यालय की तरह मिरहची में ना हो जाये। इसलिए उन्होंने अपनी माँ श्रीमती महरून निशा ज़ुबैरी से बात की और उनकी सहमति से मुख्य मार्ग पर अस्पताल निर्माण के लिए 6 बीघा ज़मीन दान देने की घोषणा की। अस्पताल निर्माण के लिए दान दी गई ज़मीन की कीमत आज करीब दो करोड़ रूपये होगी।
गौरतलब है कि परवेज ज़ुबैरी के पिता स्वर्गीय श्री बसीर महमूद ज़ुबैरी 14 वर्ष तक मारहरा नगर पालिका के चेयरमैन रहे और उन्हीं के प्रयासों से मारहरा टाउन एरिया को वर्ष 1958 में नगर पालिका का दर्ज़ा प्राप्त हुआ। परवेज ज़ुबैरी के नाना खान बहादुर चौधरी मोहम्मद स्वालेह 35 वर्ष तक मारहरा नगर पंचायत (टाउन एरिया) के चेयरमैन रहे। उन्होंने नगर पालिका परिषद कार्यालय के लिए अपनी ज़मीन दान में दी। अभी हाल में ही परवेज ज़ुबैरी ने अपने छोटे भाई युनूस महमूद ज़ुबैरी की सहमति से नगर पालिका परिषद कार्यालय को 17×76 फीट की भूमि दान में दी है। उन्होंने बताया कि नगर पालिका कार्यालय आने वाले लोगों को जगह छोटी होने के कारण असुविधा होती थी। इसी परेशानी को दूर करने के लिए भूमि दान में दी है। बताते चलें कि श्री ज़ुबैरी के परिवार के कई लोगों ने जंग-ए-आज़ादी में भाग लेकर अहम भूमिका निभाई। स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देने वालों में नियाज़ अहमद ज़ुबैरी, चौधरी मोहम्मद इब्राहीम, अज़ीज़ अहमद ज़ुबैरी के नाम प्रमुख है।