यहां नासूर बन गई हैं परिवहन सेवाएं
अमन पठान
मारहरा (एटा)। कब तक झूठे वायदों से दिल बहलाए जाएंगे। क्या ऐसे ही सुनहरी ख्याब दिखाए जाएंगे।। इन पंक्तियों का अर्थ इतना है कि चुनावी मौसम में जनता को सुनहरी ख्याब दिखाए जाते हैं और तमाम झूठे वायदे किये जाते हैं और सत्ता पर काबिज होने के बाद राजनीतिक दलों के नेता जनता से किये वायदे भूल जाते हैं। जनता को उन्हीं समस्याओं से दो चार होना पड़ता जिन समस्याओं के समाधान के लिए वह सत्ता परिवर्तन करते हैं। आइये जानते हैं एटा जिले के मारहरा की उस समस्या के बारे में जो जख्म से नासूर बन गई है।
मारहरा में परिवहन सेवाओं के नाम पर अलीगढ़ डिपो की इकलौती रोडवेज बस, डग्गेमार वाहन और उंगलियों पर गिन लेने वाली लोकल ट्रेन? सूरज के ढ़लते ही यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है। आगरा-बरेली हाइवे और मथुरा-बरेली हाइवे से 5 किमी की दूरी पर स्थित मारहरा कई दशकों से सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है। मारहरा क्षेत्र की जनता को जिला मुख्यालय या अन्य शहरों तक जाने के लिए 5 किमी का कष्टदायक सफर तय करना पड़ता है और साथ ही 5 किमी के सफर के लिए 20 रुपये से लेकर 100 रुपये तक चुकाने पड़ते हैं। सुबह से लेकर शाम तक डग्गेमार वाहन चालक मिरहची और मोहनपुरा का किराया 20 रुपये लेते हैं लेकिन अंधेरा होते ही 5 किमी का 100 रुपए वसूलने लगते हैं।
ऐसा नहीं है कि यहां की जनता ने परिवहन सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए जनप्रतिनिधियों और आला अधिकारियों से मांग न की हो लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात ही रहा। कभी मारहरा से एटा, कासगंज और अलीगढ़ डिपो के कई बसों का संचालन होता था। आगरा, बरेली, अलीगढ़, दिल्ली आदि मार्ग पर जाने वाले यात्रियों को खासी राहत मिलती थी लेकिन वर्तमान में अलीगढ़ डिपो की इकलौती रोडवेज बस मारहरा से अलीगढ़ मार्ग पर संचालित हो रही है। इस बस के संचालन का कारण मारहरा निवासी चालक परिचालक हैं। जिनके सेवानिवृत्त होते ही अलीगढ़ डिपो की इस बस सेवा का भी संचालन बंद हो जाएगा।
आपको बता दें कि वर्ष 1980 में मारहरा के नगला ककरेट निवासी हंसराज सिंह वर्मा ने निधौली कलां विधानसभा क्षेत्र से तत्कालीन मुख्यमंत्री राम नरेश यादव को चुनाव में पराजित कर जीत हासिल की। श्री वर्मा की जीत से कांग्रेस गदगद थी। जानकर बताते हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री राम नरेश यादव को पराजित करने वाले विधायक हंसराज सिंह वर्मा से मुलाकात करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इच्छा जाहिर की। तत्कालीन कांग्रेस विधायक हंसराज सिंह वर्मा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात कर सशर्त एक रोडवेज बस के संचालन की मांग की थी। श्री वर्मा ने इंदिरा गांधी को बताया कि उन्हें और क्षेत्र की जनता को दिल्ली आने जाने में बहुत दिक्कत होती है। एक रोडवेज बस का संचालन कर दिया जाए जो उनके गांव नगला ककरेट होते हुए दिल्ली जाया करे। सरकार ने श्री वर्मा की मुंह मांगी मुराद को पूरा कर दिया। हंसराज सिंह वर्मा जब तक जीवित रहे तब तक एटा डिपो की एक बस का संचालन दिल्ली मार्ग पर होता रहा। उनके मृत्योपरांत दिल्ली मेल कही जाने वाली एटा डिपो की रोड़वेज बस का संचालन बंद हो गया।
अगर रेल मार्ग का तजकरा आम करें तो कासगंज मथुरा रेल मार्ग पर 5 जोड़ी लोकल ट्रेन का संचालन होता है। जिनके मारहरा रेलवे स्टेशन पर ठहराव से यात्रियों को खासी राहत मिलती है लेकिन लंबे रूट की ट्रेनों का ठहराव न होने कारण यात्रियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यूपी के अलावा अन्य राज्यों की यात्रा करने के लिए यात्रियों को मथुरा जंक्शन पर असुविधाओं से दो चार होना पड़ता है। अगर मारहरा रेलवे स्टेशन पर लंबे रूट की ट्रेनों ठहराव शुरू हो जाये तो यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी।