अनेक मांगो पर नज़र डालें तो उपभोगताओं के हितों का हनन करती विधुत कर्मियों की हड़ताल पर सरकार नरम या गर्म.? रिपोर्ट:-By बाबू अंसारी स्योहारा ...
अनेक मांगो पर नज़र डालें तो उपभोगताओं के हितों का हनन करती विधुत कर्मियों की हड़ताल पर सरकार नरम या गर्म.?
रिपोर्ट:-By
बाबू अंसारी स्योहारा बिजनौर।
प्रदेश भर में विधुत कर्मचारियों की निजीकरण के विरोध व अन्य मुद्दों को लेकर चल रही हरताल के प्रथम चरण के 72, घन्टे पूरा होने का आज दूसरा दिन है, हरताल का सरकार पर कोई असर ना देख आज सुबह से ही कर्मचारियों ने प्रदेश के अनेको बिजली घरो की सप्लाई पूरी तरह से बंद कर हरताल को और मजबूती प्रदान करने की और ठोस कदम उठा लिए है।
हालांकि दूसरी और सरकार ने भी कामकाज़ बन्द कर हरतात पर बैठे विधुत कर्मियों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर वो काम पर वायस नही आए तो ऐसी स्थिति में सरकार उन कर्मचारियों पर "अस्मा" लगाने यानी नोकरी से बर्खास्त करने को मजबूर होगी विधुत कर्मियों की हरताल के चलते आज स्योहारा बिजली घर पर भी कर्मचारियों द्वारा बिजली बंद कर दी गई व ड्यूटी पर तैनात स्थानीय बिजली घर से नदारद हो गए।
स्थिति को संभालने की गरज से SDM मोहदय धामपुर के आदेशानुसार थाना इंचार्ज SHO राजीव चौधरी ने अपने सिपाहियों की बिजली घर पर तैनाती कर दी है ताकि कोई शरारती तत्व सरकारी सम्पत्ति को नुकसान ना पहुचा पाए।
क्या है विधुत कर्मियों की मांग:--
(1):-9 साल, कुल 14 वर्ष एवं कुल 19 वर्ष की सेवा के बाद तीन प्रमोशन वेतनमान दिया जाए।
(2):-निर्धारित चयन प्रक्रिया के तहत चेयरमैन, प्रबन्ध निदेशकों व निदेशकों के पदों पर चयन किया जाए।
(3):-बिजलीकर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए।
(4):-ट्रांसफॉर्मर वर्कशॉप के निजीकरण के आदेश वापस लिए जाए।
(5):-765/400/220 केवी विद्युत उपकेन्द्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने का निर्णय रद्द किया जाए।
(6):-पारेषण में जारी निजीकरण प्रक्रिया निरस्त की जाए।
(7):-आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर- नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए।
(8):-ऊर्जा कर्मियों की सुरक्षा के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए।
(9):-तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली व उड़ीसा सरकार के आदेश की भांति ऊर्जा निगमों के समस्त संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए।
(10):-बिजली कर्मियों को कई वर्षों से लम्बित बोनस का भुगतान किया जाए।
(11):-भ्रष्टाचार एवं फिजूलखर्ची रोकने हेतु लगभग 25 हजार करोड़ के मीटर खरीद के आदेश रद्द किए जाए व कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाए।
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बाक़ी मांगो को छोड़ विधुत कर्मचारियों की मांगो में मांग नम्बर 4/5/6/7 व 11 कुल मिलाकर 5, बिन्दुओ पर नज़र डालें तो ये पांचो सरकारी निर्णय उपभोगता हित में नज़र आते है जिनके लागू होने से विधुत अधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी के चलते विधुत उपभोगताओं को ग़लत बिल, नए कनेक्शन करने में आनाकानी,कनेक्शन कटने व जोड़ने, जर्जर विधुत लाइनों में हर दिन खराबी आने, समय रहते ख़राब ट्रांसफार्मर व मीटर समय रहते ना बदले जाने, व सरकार की और से आबादी क्षेत्र के अनुसार नियमित व निर्बाध विधुत उपलब्ध ना कराने सहित अन्य समस्याओ का सामना करने से छुटकारा मिलेगा।
अगर उपभोगता हित के 5, बिन्दुओ पर अगर सरकार कर्मचारियों के सामने हत्यार डाल देती है यानी वापस ले लेती है तो विधुत कर्मियों द्वारा उपभोगताओं के साथ किये जा रहे शोषणों में और इजाफ़ा हो जाएगा।
ये है उपभोगताओं को शोषण से बचाने वाले सरकारी निर्णय:--
4).ट्रांसफॉर्मर वर्कशॉप के निजीकरण के आदेश वापस लिए जाए।
(5).765/400/220 केवी विद्युत उपकेन्द्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने का निर्णय रद्द किया जाए।
(6).पारेषण में जारी निजीकरण प्रक्रिया निरस्त की जाए।
(7).आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर- नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए।
(11).भ्रष्टाचार एवं फिजूलखर्ची रोकने हेतु लगभग 25 हजार करोड़ के मीटर खरीद के आदेश रद्द किए जाए व कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाए।