अभी और मंहगाई से 'लाल' होगा टमाटर, 300 रुपये तक पहुंच सकते हैं भाव
सब्जियों की शान टमाटर आजकल मेहमान बन गया है. भाव आसमान पर पहुंच गए हैं और लोग अब किलो की जगह पाव भर टमाटर ही खरीद रहे हैं. मार्केट में कम हो रहा टमाटर धीरे-धीरे लोगों के किचन और थाली से गायब हो रहा है. इस बीच एग्रीकल्चर एक्सपर्ट और नेशनल कमोडिटीज मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड (NCML) की रिपोर्ट ने होश उड़ा दिए हैं. इसमें कहा गया है कि आने वाले समय में टमाटर गुस्से में और लाल हो सकता है.
NCML के एमडी और सीईओ संजय गुप्ता का कहना है कि टमाटर की कीमतें बढ़ने का सिलसिला अभी थमने वाला नहीं है. बारिश की वजह से अभी नई फसल भी नहीं लगाई जा रही, जबकि पुरानी फसलें भारी मात्रा में खराब हो रही हैं. आने वाले सप्ताह में टमाटर की कीमतें और बढ़ती जाएंगी. बारिश थमने के बाद ही इसकी कीमतों पर दोबारा अंकुश लगने का अनुमान है.
बाजार और मंडी में टमाटर की नई खेप पहुंचनी कम हो गई है और देश में इसकी खुदरा कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. जून में जहां टमाटर 40 रुपये किलो बिक रहा था, वहीं जुलाई के पहले सप्ताह में ही यह 100 रुपये के लेवल को पार कर गया. यह अभी थमेगा नहीं और जल्द ही टमाटर की कीमत 200 रुपये और फिर 300 रुपये किलोग्राम तक जाती दिख रही है. बारिश की वजह से देश के कई हिस्सों से टमाटर की आवक कम हो गई है.
संजय गुप्ता का अनुमान है कि सितंबर के बाद ही टमाटर की कीमतों पर पूरी तरह काबू पाया जा सकेगा. इसका मतलब है कि अभी 2 महीने से ज्यादा समय तक इसकी कीमतें आम आदमी के बजट से बाहर ही रहेंगी. टमाटर 60 से 90 दिन की फसल होती है और अभी बारिश की मौसम होने की वजह से इस पर काबू नहीं पाया जा सकता है. लिहाजा इसकी कीमतों के नीचे आने में थोड़ा समय लगेगा.
टमाटर की पैदावार वाले राज्यों में इस समय बारिश और बाढ़ का माहौल है. चाहे दक्षिण और तटीय राज्यों की बात करें या फिर हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों की, जहां से टमाटर की आवक होती है. हर तरफ बारिश ने फसल को बर्बाद कर दिया है. इसके अलावा हाईवे और ट्रांसपोर्ट पर भी बारिश की वजह से असर पड़ा है. टमाटर गर्मी के प्रति संवेदनशील होता है और फरवरी-मार्च में ही तेज गर्मी की वजह से पहले भी इस पर काफी असर पड़ा था. इसके अलावा महाराष्ट्र और कर्नाटक में वायरस की वजह से भी टमाटर की फसल बहुत बर्बाद हुई थी.