'NO भीख NO भिखारी' वाले मंदिर की जानिए सोशल मीडिया पर क्यों हो रही है चर्चा
लखनऊ शहर में एक ऐसा मंदिर है. जिसके मुख्य द्वार के बाहर लिखा हुआ है NO भीख NO भिखारी, हर कोई जानना चाहता है कि आखिर इसका मतलब क्या है. दरअसल लखनऊ शहर के ऐशबाग के मोती झील में एक प्राचीन हनुमान मंदिर है, यहां पर राम भक्त हनुमान उत्तर मुखी और दक्षिण मुखी दोनों ही तरह से विराजमान हैं, इसीलिए इस मंदिर की मान्यता और भी अधिक बढ़ जाती है.
मंगलवार के दिन यहां पर भक्तों की लाइन लगती है दर्शन और पूजन के लिए यह लखनऊ शहर का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां पर एक ही गर्भगृह में दक्षिण मुखी और उत्तर मुखी दोनों हनुमान जी विराजमान हैं. यहां पर हनुमान जी की जो प्राचीन प्रतिमा है वह कितने साल पुरानी है इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है. यहां के महंत हरिवंश दुबे ने बताया कि NO भीख NO भिखारी लिखे जाने के पीछे की दिलचस्प वजह यह है कि मंदिरों के बाहर जब भिखारी बैठे रहते हैं तो भक्तों को काफी परेशानी होती है.
प्रबंध समिति ने बताया कि मंदिरों के बाहर भिखारियों का बैठा रहना भी अच्छा नहीं लगता है इसलिए मंदिर प्रबंधन ने फैसला किया कि इस मंदिर के बाहर कोई भी भिखारी या गरीब नहीं बैठेगा, जिसकी उन्हें आवश्यकता होती है वो है भोजन और मंदिर प्रबंधन उनको भोजन उपलब्ध कराएगा. उन्होंने बताया कि हनुमान जी की कृपा से इस मंदिर में कभी भी अनाज की कमी नहीं हुई.
उन्होंने बताया कि इसी फैसले के साथ रोजाना 12:30 बजे से लेकर 2:30 बजे तक यहां पर गरीब, दिव्यांग, विकलांग, रिक्शे चालक और ऑटो चालक, बच्चे, बूढ़े और जवान सभी को खाना खिलाया जाता है. ताकि उन्हें भीख मांगने की जरूरत न पड़े. इस मंदिर में दर्शन करने के लिए भी किसी को रोका नहीं जाता है अमीर हो या गरीब सभी तरह के लोग यहां आते हैं और दर्शन करते हैं.
इस मंदिर में रोजाना शाम 7:30 बजे आरती होती है. आरती के बाद भारत माता की जय के नारे लगते हैं. लखनऊ के किसी भी मंदिर में भारत माता की जय के नारे नहीं लगते हैं. यही नहीं भारत माता की प्रतिमा भी यहां के मुख्य द्वार पर स्थापित की गई है. यहां के महंत हरिवंश दुबे ने बताया कि यह मंदिर रोजाना सुबह 5:00 बजे खुल जाती है दोपहर 12:00 बजे बंद हो जाती है. फिर 3:00 बजे खुलती है और रात में 9:30 बजे बंद हो जाती है.